जानिए शरीर के भीतर 'वायु' के पांच प्रकार तथा उनके कार्य
हमारे शरीर में वायु पांच प्रकार के होते हैं। ये वायु ही इंसान को जीवित रखने के लिए प्राण ऊर्जा उत्सर्जित करते हैं। जब इन्सान की मृत्यु होती है तो ये पाँचो शरीर से बाहर निकल जाते हैं, जिसके पश्चात इंसान का शरीर सड़ने लगता है। तो आज हम जानेंगे हमारे शरीर के भीतर के वायु के पांच प्रकार तथा प्रत्येक का क्या कार्य है।
शरीर के भीतर 'वायु' के पांच प्रकार
1. प्राण वायु
2. समान वायु
3. अपान वायु
4. उदान वायु
5. व्यान वायु
शरीर के भीतर पांच प्रकार के 'वायु' के कार्य
हमारे शरीर को तथा मन को चलाने के लिए आवश्यक ऊर्जा इन्ही पाँच वायु के गतिमान होने से मिलती है। इनमे से यदि कोई शरीर से से चला जाए, तो इंसान जीवित नहीं रह सकता। शरीर के इन पाँचों वायु का अलग-अलग कार्य है।
प्राण वायु : प्राण वायु हमारी श्वसन तथा विचार प्रक्रिया से जुड़ा होता है। इसके शरीर से चले जाने पर तुरंत ही श्वसन बंद हो जाती है। किसी के मरने पर डॉक्टर सबसे पहले श्वसन ही जांच करता है, फिर छाती को पम्प करके श्वसन वापस लाने की कोशिश करते हैं, अगर वापस नहीं आती तो इसका मतलब वह पूरी तरह से मर चूका है।
समान वायु : समान वायु शरीर में गर्मी पैदा करने का कार्य करता है। अगर समान वायु शरीर से चली जाती है तो शरीर ठंडा पड़ने लगता है तथा अकड़ने भी लगता है।
अपान वायु : अपान वायु शरीर के संवेदी पहलू को संचालित करता है। हमारी संवेदनाएं इसकी ऊर्जा से ही गतिमान रहती है। अपान वायु के शरीर से चले जाने पर हमारी संवेदन क्षमता भी समाप्त होने लगती है। लेकिन चूँकि यह सूक्ष्म होता है इसलिए प्राण वायु के शरीर से चले जाने पर भी यह शरीर में कुछ समय तक रहता है। यही कारण है की कई बार मृत शरीर में भी फड़कन देखा गया है।
उदान वायु : उदान वायु शरीर में हल्कापन बनाये रखता है। यहाँ 'हल्कापन' का अर्थ यह है की आपके शरीर के वजन को यह संभाले है। आपका वजन भले ही 50 या 60 किलो का हो, लेकिन अपने ऊपर कभी इतना वजन महसूस नहीं कर पाते। जिन लोगो ने मृत शरीर को उठाया होगा वो इस बात को जानते होंगे की मरने के बाद मृत शरीर उठाने में भारी लगता है। इसका यही कारण है कि उसने उदान खो दिया है।
व्यान वायु : व्यान शरीर को संरक्षित रखने का कार्य करता है। एक बार जब शरीर से व्यान चला जाता है तो शरीर सड़ना शुरू देता है। किसी-किसी सर्प के विष में भी यह चीज पायी जाती जो सीधे तौर आपके व्यान को नुकसान पहुँचता, जिससे आप मरेंगे तो नहीं लेकिन शरीर के अंग सड़ना शुरू कर देते हैं, और अंततः मृत्यु आती है।
तो, यह हैं हमारे जीवन के पांच आयाम जिनसे हमारी अस्तित्व कायम है।
हम इन पांच वायु का संतुलन कैसे बनाए