मोक्ष का अर्थ || मोक्ष प्राप्ति का मार्ग

कर्म-बंधन  में फंसा इंसान, दुखो से व्याकुल होकर जब परम शान्ति  की तलाश में निकलता है, तो उसे उम्मीद मोक्ष  में ही दिखती है। मोक्ष ही वह स्थिति है, जहाँ जीवन की प्रत्येक उलझनों का समाधान है, जीवन के प्रत्येक दुःख का अंत है। इसलिए हर कोई मोक्ष प्राप्त करने का मंत्र  तथा विधि तलाश करता फिरता है। लेकिन मोक्ष की राह पर चलने से पूर्व, यह जरुरी है की मोक्ष का अर्थ  भली भाँती समझ लें। तो आइये जानते हैं, मोक्ष का अर्थ  क्या है, तथा मोक्ष कैसे प्राप्त कर सकते हैं?

मोक्ष का अर्थ

मोक्ष का अर्थ


देखिए, हमारे जीवन के अस्तित्व के दो पहलू होते हैं, भौतिक पहलु तथा अभौतिक पहलु। भौतिक पहलू वो सारे तत्व हैं, जो शरीर के साथ ही शुरू होते हैं, तथा शरीर के नष्ट होते ही वे भी नष्ट हो जाते हैं, जैसे शरीर, भावनाएं, मन और चित्त इत्यादि। अभौतिक पहलू प्राण ऊर्जा है जिसे आत्मा भी कहा जाता है। 

इस भौतिक दुनिया में जन्म लेने के बाद हमारे अभौतिक पहलू, भौतिक पहलू से जुड़ जाते हैं, तथा एक दूसरे के पूरक बन जाते हैं। आज के दुनिया में जिस समाज में हम पल बढ़ रहे हैं, वहां हर इंसान की चेतना सिर्फ उसके भौतिक पहलू का ही भान है। हमें एक पल के लिए भी यह एहसास नहीं होता है, की शरीर से परे भी हमारा अस्तित्व है। इस कारण से हम सिर्फ वही चीज महसूस कर पाते हैं, जो हमारे शरीर और मन को प्रभावित करता हैं, तथा उन्हें ही अपने जीवन का आखिरी सत्य मान लेते हैं। 

तप तथा सिद्धियों के बल पर ऋषि-महर्षि अपनी चेतना में अपने अभौतिक पहलू को, भौतिक पहलू की तुलना में अधिक प्रबल कर लेते हैं। अर्थात, वो अपने शरीर, मन, भावनाएं इत्यादि तथा अपने जीवन ऊर्जा के बीच एक दूरी बना लेते हैं, तथा ये दूरी इस प्रकार होता है जिसमें अभौतिक पहलू को प्राथमिकता होती है, जबकि शरीर और मन दूसरे दर्जे पर आते हैं।  

इस प्रकार किसी भी स्थिति में उनका मन पीड़ा का शिकार नहीं होता, तथा वे व्याकुल नहीं होते। सामान्यतः, जीवन के इसी अवस्था को मोक्ष कहा जाता है। मृत्यु के बाद भी ये स्थिति प्राप्त की जाती है, लेकिन इसे शरीर के साथ भी हासिल किया जा सकता है।  

मोक्ष वह स्थिति है जिसमे किसी प्रकार का कोई बंधन या दुःख नहीं रह जाता है। जीवन की तमाम दुखों तथा बंधनों से मुक्ति का नाम ही मोक्ष है। मोक्ष को लोग इस प्रकार समझते हैं, जैसे यह कोई ऐसी चीज या स्थिति है जो मृत्यु के उपरान्त ही मिल सकती है। लेकिन वास्तव में मोक्ष जीवन के हर कदम पर मिल सकता है। 

अगर आप शरीर धारण किये हुए भी सांसारिक मोह तथा कर्म-बंधनों से खुद को अछूता रखने की स्थिति में ला सकते हैं, तो आपको यही मोक्ष प्राप्त हो जाएगा। हर तरह की मानसिक दुःख एवं पीड़ा से मुक्ति का नाम ही मोक्ष है। जब तक आपके पास शरीर है तब तक शरीर की पीड़ा तो पूर्णतः ख़तम नहीं किया जा सकता है, परन्तु मन की पीड़ा से पूर्णतया मुक्ति अवश्य पायी जा सकती है। 

◾ मोक्ष प्राप्ति का मार्ग

गौतम बुद्ध तथा रामकृष्ण परमहंश जैसे धर्मात्माओं ने शरीर धारण किये हुए ही साधना तथा तप से मोक्ष की प्राप्ति की। इनके मन को दुनिया की कोई शक्ति घायल नहीं कर सकती। 

आज दुनिया के लगभग सभी इंसानों के लिए मन की पीड़ा ही असल मुसीबत है। और इसका कारण मोह तथा बंधन ही है। जब तक इंसान भौतिक दुनिया में पदार्थ मोह के बंधन में बंधा रहेगा, तब तक वह मोक्ष नही पा सकता।

• आत्मज्ञान से मोक्ष तक

मोक्ष प्राप्त करने का एक मार्ग यह है की, आप आत्मज्ञान की साधना शुरू करें। इसमें ध्यान करना सबसे प्राथमिक है। सच्चे ध्यान की स्थिति में आप अपने अस्तित्व के सभी भौतिक तथा अभौतिक पहलू को अपनी चेतना में शामिल कर सकते हैं।
ऐसा होने पर, आप पाएंगे कि ब्रह्मांड का हर कण उन्हीं प्रकार के अणुओं से बना है, जिनसे की आप बने हैं। आप अनुभव करेंगे, कि सूक्ष्मतम स्तर पर आपमें तथा ब्रह्मांड के किसी दूसरे चीज में कोई अंतर नही है। यहीं से आपकी मोक्ष प्राप्त करने की यात्रा शुरू हो जाती है।

अक्सर ऐसा देखा गया है, की किसी साधक की मृत्यु अकस्मात ही बिना किसी कारण के हो जाती है। इसका एक उदाहरण स्वयं स्वामी विवेकानंद जी हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि आत्मज्ञान प्राप्त होने के बाद इस संसार आपके लिए कुछ भी मायने नही रखता है। संसार का हर रिश्ता, प्रत्येक भोग की वस्तु तथा किसी भी तरह की सफलता का कोई मतलब नही रह जाता।

साधक के लिए बस ब्रह्मांड में विलीन (मोक्ष प्राप्ति) हो जाना ही शेष रह जाता है, तथा श्रेष्ठ लगता है। इसलिए आत्मज्ञान प्राप्ती के साथ ही अक्सर मृत्यु भी हो जाती है। 

लेकिन कुछ साधक मानव जाति के कल्याण की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले लेते हैं। तथा इसी दुनिया में रहकर लोगो के बीच ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं, जैसे रामकृष्ण परमहंस तथा गौतम बुध हुए।

• कर्म-बंधन से मुक्ति तथा मोक्ष प्राप्ति

मोक्ष प्राप्ति का अन्य मार्ग यह है, की आप अपने द्वारा इकठ्ठा किए गए अपने कर्मों की गठरी को खाली कर दें।
मृत्यु के पश्चात मोक्ष न मिलने का यही कारण होता है की, आपके प्राण ऊर्जा पर अभी भी आपके कर्मों का छाप रहता है। अगर आप मृत्यु से पहले स्वयं को कर्म-बंधन से मुक्त कर लेते हैं, तो मृत्यु के साथ ही मोक्ष प्राप्ति हो जाती है। 

कर्म-बन्धन एक ऐसा जाल है, जिसमे फंसा प्राण ऊर्जा या आत्मा, इस भौतिक संसार के जुड़ाव को पार नहीं कर सकता। आपका कर्म-बन्धन आपके जीवन में किए गए प्रत्येक कार्यों से निर्धारित होता है। इसकी संरचना को समझने के लिए यहां पढ़ सकते हैं: कर्म बंधन क्या है, तथा इससे मुक्ति के उपाय

कर्म-बन्धन से मुक्ति के बाद प्राण ऊर्जा आसनी से ब्रह्मांड में विलीन हो जाता है, तथा मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।

तो दोस्तों, यह प्रस्तुति आपको मोक्ष प्राप्ति के बारे में, सिद्ध गुरुओं से प्रेरित, सच्ची जानकारी उपलब्ध कराती है। अगर यह जानकारी अच्छी लगी, तो अपने प्रियजनों तथा दोस्तों को जरूर शेयर करें।






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