Dhyan ध्यान क्या है?॥ ध्यान कैसे करें?

ध्यान क्या है?।। ध्यान कैसे करें?

ध्यान क्या है?

ध्यान क्या है? ध्यान कैसे करें?
ध्यान क्या है?


बहुत सारे लोग सवाल करते है, कि ध्यान कैसे करें? अगर आपका भी यही सवाल है तो अंत तक जरूर पढ़ें।

तो, 'ध्यान कैसे करें?' का उत्तर खोजने से पहले आइए देखते हैं 'ध्यान क्या है?'
जब हम ध्यान की बात करते हैं तो हमारा तातपर्य एक ऐसे दिमाग, बुद्धि या मन से होता है, जो पूरी तरह से विचारों से खाली हो।

एक ऐसा मन जहाँ कोई द्वंद्व नही चल रहा हो, ऐसा मन जो पूरी तरह से सोचने या जिज्ञासा से परे हो। 
जहाँ जानने या न जानने जैसा कोई भाव न हो। उस मन के लिए जो है वो है, जो नही है वो नही है। बस इतना ही। कोई भी द्वंद्व नही, कोई भी विचार नही। अगर वह  
कोई शब्द सुनता है, तो वह बस सुनता है, बिना उन शब्दों के सही गलत का निर्णय दिए, उन शब्दों पर अपने मन मे भी बिना कोई टिप्पणी किये। बस और बस सुनना। ऐसे ही देखना भी।

आज ध्यान के लिए कई तरीके बताने वाले गुरु मिल जाएंगे। हर धर्म मे प्रचलन के अनुसार ध्यान करने की विधि है, जिनमे कुछ मंत्र, कुछ संस्कृत शब्द दे दिए जाते है जिन्हें आपको बार-बार दोहराना है। 
या फिर कोई छवि या दीपक दे दी जाती है, जिसपे आप अपना पूरा ध्यान केंद्रित करें। 

तो इस प्रकार आप किसी न किसी चीज पर ध्यान केंद्रित करके मन की बक-बक को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं, जैसा कि स्कूल के बच्चे भी अपने पढ़ाई में करते हैं, जिसका परिणाम फिर से विचारों की उत्पत्ति ही होता है।

 जैसे ही आप कुछ निश्चित बताई हुई बातों का पालन करने की कोशिश करते है, ये अपने आप मे आपके मन के लिए द्वंद्व है। जब कोई आपसे कहता है, आपको ये सब करना है, और आप वो सब करने की
कोशिश करते हैं, जो कि आपके लिए किसी और का विचार ही है, तो यही से आपको विचारों में बांध दिया गया है। आपका मन हमेशा वो, जो पालन करने के लिए बताया गया है। ऐसे में आप कभी विचारो की उत्पत्ति से, मन के द्वंद्व से बाहर नही निकल पाएंगे।

इसके अलावा ध्यान की विधियों में मन, दिमाग या विचार को कंट्रोल करने की नसीहत दी जाती है। आपको बताया जाता होगा कि दिमाग एकदम खाली कर दो, कुछ नही सोचो, मन एकदम शांत रखो, बिल्कुल विचारशून्य हो जाओ। जो कि होना भी चाहिए। 

अगर आप कोई चीज कंट्रोल करने चाहते हैं, तो इसका मतलब यह है कि एक तो कंट्रोलर होगा और एक वो चीज जिसे कंट्रोल करना है। जो कि दोनों ही आपके पहलू हैं। लेकिन आप कंट्रोल करने के लिए खुद के भीतर ही कंट्रोलर और कंट्रोल होने वाली चीज (विचार) में अलगाव उत्पन्न करते हैं। जिसका मतलब है कि आप स्वयं के ही दो पहलुओं को विभाजित करते हैं जिस कारण आपके भीतर और ज्यादा द्वंद्व होगा।

इसलिए एक बार उन सभी तरीकों, जो धार्मिक ग्रंथों या गुरुओं द्वारा बताया गया है ,को भूलकर 'ध्यान क्या है?' से शुरू करते हैं।


ध्यान कैसे करें
ध्यान क्या है?॥ ध्यान कैसे करें?
ध्यान कैसे करें?

अब तक तो आप समझ ही गये होंगे कि आधा घंटा, एक घंटा या दो घंटा किसी खास मुद्रा में बैठकर किसी चीज पर ध्यान केंद्रित करने से ध्यान की असल अवस्था को नही पा सकते। तो अब प्रश्न आता है कि इसके लिए क्या कर सकते है?
सबसे पहले तो हमें ये समझना चाहिए कि जब हम ध्यान करने की बात करते हैं तो वो हमारी ऐसी स्थिति होती है जैसा कि ऊपर बताया गया है।

तो मन और दिमाग की हर गतिविधियों से ऊपर उठने के लिए सबसे आवश्यक है इन गतिविधियों की पूरी प्रक्रिया को समझना। जैसे विचार उत्पन्न होने की प्रक्रिया, कुछ सोचने की प्रक्रिया, कोई भी चीज देखकर या सुनकर उसके बारे में हमारा दिमाग स्वतः ही विभिन्न राय बनाने लगता है।

आपका मन हर पल बक-बक करते रहता है, आपको उसका ही निरीक्षण करना है। कोई भी विचार कैसे उत्पन्न हुआ, वो विचार क्या है और क्यों है। आपको अपने मन की प्रत्येक गतिविधि साफ-साफ दिखनी चाहिए।

मन कि गतिविधियों को देखने के लिए शुरुआती दौर में ये आवश्यक है कि आपका शरीर शांत अवस्था मे हो। जब आपका शरीर शांत होगा तब आप किसी दर्शक की भांति अपने मन का निरीक्षण कर पाएंगे। तो शुरुआत में आप इसे शांति से खड़े होकर या बैठकर या लेटकर जैसे भी कर पाएं वैसे करें।
 जब कुछ दिन आप ऐसा करेंगे तो धीरे धीरे आप पाएंगे कि मन की गतिविधियों का अध्ययन आप कही भी, कभी भी कर सकते हैं, कोई काम करते समय भी। आप हर पल अपने मन का निरीक्षण कर पायेंगे, और असल ध्यान तक पहुँचने के लिए आपको ऐसा करना ही होगा।

यह एक कार्य की तरह होगा जो आपको ध्यान की तरफ ले जाएगा। एक बार जब आप मन की गतिविधि को समझ लेंगे तो आप पाएंगे कि मन और दिमाग से परे भी आपका अस्तित्व है, और वो इस शरीर, मन, दिमाग इत्यादि भौतिक पहलुओं से काफी ज्यादा वृहद है। और वही आप हैं। 

ये शरीर, मन और दिमाग आपके हैं, लेकिन आप स्वयं ये नही हैं। आप इन सभी भौतिक पहलुओं से परे हैं। और चूँकि ये मन आपका है तो आप अपनी सहूलियत के अनुसार इसका इस्तेमाल करने के लिए हैं, न कि ये आपके लिए मुसीबत बन जाये। 

आप जब चाहते हैं तब अपने हाथों या पैरो का इस्तेमाल करते हैं। क्या आपको अपने हाथों को कंट्रोल में रखने की जरूरत पड़ती है? बिल्कुल नही। क्योंकि आप इनका इस्तेमाल जानते हैं। जब आप अपने मन को जान जाएंगे तब आप मन का भी जरूरत के अनुसार इस्तेमाल करेंगे, न कि कंट्रोल करने का कोशिश।

'ध्यान क्या है?' प्रश्न के जवाब की तलाश में आप एक ऐसे मन को टटोल रहे हैं, जो विचारो से रहित है, जो द्वंद्व से रहित है, जो शून्यता में है। और जब आप स्वयं के ऐसे मन का निरीक्षण करने का कोशिश करते हैं, जिसमे सोचने और विचार करने जैसी गतिविधियाँ समाप्ति पर हो, तो आप वास्तव में सोच और विचार से खुद को ऊपर ले जा चुके होते हैं, और सिर्फ निरीक्षण की स्थिति में होते हैं।

निरीक्षण का अर्थ है, जो जैसा है वैसा ही देखना, बिना किसी द्वंद्व के आप बस निरीक्षण कर रहे हैं, मन की गतिविधियों का। जिसका मतलब है आप मन से ऊपर उठ चुके हैं। यही ध्यान की पूरी प्रक्रिया है।
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2 Comments
  • Unknown
    Unknown 3 जुलाई 2021 को 5:31 am बजे

    Nice info
    Need more on dhyan

    • Spiritual world
      Spiritual world 3 जुलाई 2021 को 7:47 am बजे

      Will come soon

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