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अवचेतन मन की शक्ति | Power of subconscious mind

अगर मन की शक्ति अपार है, तो हम इस शक्ति को अपने दैनिक जीवन में क्रियाशील कैसे बना सकते हैं? हम क्यों अपने मन की शक्ति का बस पाँच या दस प्रतिशत ही इस्तेमाल कर सकते हैं? 

हमारा अवचेतन मन क्या है, तथा अवचेतन मन की शक्ति क्या है? हम कैसे अपने अवचेतन मन की शक्ति को जीवन में उतार सकते हैं?

तो दोस्तों, आज हम अवचेतन मन के गुढ़ रहस्यों को उजागर करेंगे, तथा इस तरह के सभी सवालों के जवाब जानेंगे।

अवचेतन मन की शक्ति


अवचेतन मन क्या है

अवचेतन मन हमारी चेतना का वह आयाम है, जो हमारे भीतर अस्तित्व में तो है परंतु हम उसका सचेतन रूप से इस्तेमाल नहीं कर पाते। हमारा अवचेतन मन हमारी साधारण बुद्धि के मुकाबले हमारे अस्तित्व का अत्यंत सूक्ष्म पहलू है। बस यूँ समझ लीजिये की यदि हमारी साधारण बुद्धि(चेतन मन) पहरेदार है, तो अवचेतन मन इस घर का मालिक है। 
हम अपने दिनचर्या के कार्यों को चेतन मन के मदद से निपटाते हैं, परन्तु जब हम किसी भावना में लुप्त हो जाते हैं , जैसे क्रोध, मोह, भय इत्यादि तब हम पूर्ण रूप से चेतन नहीं होते। इस तरह की सभी भावनाएं, जिसमे बहकर हम आपा खो बैठते हैं, का स्रोत अवचेतन मन ही होता है। गहरी सुषुप्ति की अवस्था में यह मन जागृत होता है, और यही से हमारे स्वप्न भी प्रेरित रहते हैं। 
बाहरी दुनिया में क्या सही है, क्या गलत है, किस तरह के विचार धारण करने हैं, किन विचारों और कृत्यों से बचना है इत्यादि सारे माप तौल वाली गतिविधियां हमारे चेतन मन से होता है। हमारा चेतन मन तुलनात्मक तरीके से फैसला करने में सक्षम है। परन्तु हमारा अवचेतन मन इस तरह के फैसलों या विरोधों से परे है। यह उस सूक्ष्मता को दर्शाता है जहाँ तुलना और विरोधाभास समाप्त होकर अस्तित्व के हर पहलु के एकीकरण की संभावना का जन्म होता है। 
पर इसके साथ ही इस खतरा का भी जन्म होता है, की अगर हमारे चेतन मन और अवचेतन मन में सामंजस्य स्थापित न हो, तो हमारा अवचेतन मन हमसे वो चीजें भी करवा देगा जो हमारा चेतन मन नहीं चाहता और उसके लिए बाद में हमें पछताना पड़ता है। अवचेतन मन शक्तिशाली तो है, पर साथ ही सही से न संभालने पर हमारे लिए बड़ा नुकसान भी कर सकता है। 
तो आइए, इस यात्रा में आगे हम यह जान्ने की कोशिश करेंगे करेंगे की अवचेतन मन की शक्ति क्या है, कैसे हम अवचेतन मन तथा चेतन मन में सामंजस्य ला सकते हैं तथा अवचेतन मन को कैसे प्रशिक्षित करें की इससे सकारात्मक प्रेरणा का सृजन हो। 

अवचेतन मन की शक्ति

अवचेतन मन से आने वाली प्रेरणा का हमारी साधारण बुद्धि पर कोई जोर नहीं चलता। हम अक्सर यह महसूस कर सकते हैं की हम करना कुछ और चाहते हैं लेकिन कर कुछ और रहे हैं। यह अवचेतन मन की प्रेरणा है जो हमसे वह सब भी करवा देती जिसको हमारा साधारण बुद्धि करना करना नहीं चाहता। और इसी प्रकार, हमारा अवचेतन मन वह सब करने से हमें रोक भी सकता है जिसके तरफ हमारा साधारण बुद्धि आकर्षित होता है। 

हमारे भीतर की कुछ असंयमित भावनाएँ जैसे गुस्सा, ईर्ष्या, डर, काम-वासना इत्यादि अवचेतन मन का हिस्सा हैं। जब कोई एक भी भावना हमारे ऊपर हावी हो जाती है, तब हमारा चेतन मन निष्क्रिय साबित होता है, और हम कुछ ऐसा कर बैठते हैं जिसके लिए होश में आने के बाद पछताना पड़ता है। यह तो नुकसान की बात हो गई। परन्तु अक्सर हम यह भी महसूस करते हैं की हम कुछ गलत कर रहे हैं, या हमे भीतरी अनुभूति होती है की ये करना चाहिए, ये नहीं करना चाहिए, और ऐसी स्थिति में अक्सर हमारी भीतरी अनुभूति ही सही होती है। यह भी हमारे अवचेतन मन की ही प्रेरणा है। अक्सर हमें ऐसे इंसानों के बारे में सुनने को मिल जाता है, जिनके लिए लोग कहते हैं की उसका छठी इन्द्रिया जागृत है, तो असल में ऐसे इंसानों का अवचेतन मन बाकी लोगो की तुलना में अधिक सक्रिय होता है। 
अवचेतन मन की शक्ति को रेखांकित करते हुए अमेज़न के संस्थापक जेफ्फ बेज़ोस कहते हैं कि "जीवन और व्यवसाय में उनके सबसे महत्वपूर्ण निर्णय तर्क से नहीं, बल्कि दिल और अंतर्ज्ञान से उत्पन्न हुए हैं"। दरअसल अवचेतन की प्रेरणा वर्तमान से जन्म लेती है और यह पुराने अनुभवों के प्रभाव से रहित होता है। 
हालांकि हमारा चेतन मन पूर्ण रुप से भूत के अनुभवों से प्रेरित होकर ही फैसला लेता है, अतः कभी-कभी वर्तमान के हिसाब से गलत भी हो सकता है। जबकि, अवचेतन मन की पूर्ण रूप से वर्तमान का होते हुए भी पुराने अनुभवों का इस्तेमाल कर लेता है , क्योंकि यह प्रशिक्षित ही उस प्रकार से होता है। 
इसे यूँ समझ लीजिए कि हमारा चेतन मन पुराने अनुभवों को संजोकर रखता है और समान परिस्थितियों में उन्हीं अनुभवों के आधार पर प्रतिक्रिया करता है। इस स्तर पर हम लगभग एक प्रशिक्षित मशीन की तरह व्यवहार करने लगते हैं। इसके विपरीत, अवचेतन मन अनुभवों से प्रशिक्षित तो होता ही है, पर उसके पास सृजन की स्वतंत्रता भी होती है। वह समस्याओं को केवल पूर्व अनुभवों के साँचे में नहीं ढालता, बल्कि उन्हें नए और रचनात्मक ढंग से देखने तथा हल करने की क्षमता रखता है। 

जब मनुष्य के विचारों में खुलापन होता है और वह स्वयं को केवल सीखी-सिखाई धारणाओं की सीमाओं में बाँधकर नहीं रखता, तब अवचेतन मन की यह रचनात्मक क्षमता स्पष्ट रूप से प्रकट होने लगती है। ऐसी अवस्था में व्यक्ति केवल अतीत की पुनरावृत्ति नहीं करता, बल्कि वर्तमान परिस्थिति के अनुरूप नए और सार्थक उत्तर खोजने में सक्षम हो जाता है। 
अंतर्ज्ञान अवचेतन मन की कोई रहस्यमय चमत्कारी शक्ति नहीं, बल्कि चेतना की वह अवस्था है जहाँ सोच रुक जाती है और समझ स्वयं प्रकट होती है। जब जीवन में निर्णय केवल तर्क और लाभ-हानि की गणना से लिए जाते हैं, तब वे सुरक्षित तो हो सकते हैं, पर जीवंत नहीं। अंतर्ज्ञान उस क्षण में सक्रिय होता है जब मन शांत होता है और व्यक्ति जीवन के साथ संघर्ष करने के बजाय उसे सुनने लगता है। ऐसे क्षणों में लिया गया निर्णय बाहरी रूप से जोखिम भरा लग सकता है, पर भीतर एक गहरी निश्चिंतता छोड़ जाता है। यही अवचेतन मन की सबसे रचनात्मक अभिव्यक्ति है।




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