हम मौलिक रूप से कैसे समझ सकते हैं कि दुनिया वास्तव में कैसे काम करती है और क्या हम इसे संभाल सकते हैं?
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ब्रह्मांड की कार्य प्रणाली
इस दुनिया मे जीवित प्राणी है, निर्जीव वस्तुए भी हैं लेकिन सब अपना काम कर रहे है। कुदरत की यह प्रक्रिया समझने से पहले जरूरत है हमें खुद की, अपने भौतिक शरीर की तथा भौतिकता से परे अपने अस्तित्व की, प्रक्रियाओं को समझने की। आप जीवन और मृत्यु से जुड़ा एक कमाल का विचार यहाँ पढ़ सकते है
हमारा फिजिक्स इस ब्रह्मांड के कई राजों पर से पर्दा उठा रहा है। लेकिन जाहिर है, उतना काफी नही है। हमारा अध्यात्म, हमारे वेद-पुराणों में ब्रह्मांड की जैसी व्यख्या मिलती है उसमें बहुत सारे फिजिक्स के द्वारा प्रूफ किये गए घटनाओ से मेल खाता है। मेरा ये मानना है कि जो बात फिजिक्स से प्रूफ हो रही है एक्सपेरिमेंट में सही साबित हो रही है, वो तो सही है हीं है और अगर वेदों या धर्मग्रंथों में वैसी ही मिलती जुलती कोई बात है तो ये हमारे ऋषि मुनियों महानता ही है। बहुत सारे ऐसे एक्सपेरिमेंट आज भी चल रहे है जिनकी हमारे वेदों में चर्चा की गई है।
जैसे कि आज ब्लैक होल के होने का प्रमाण भी हमें मिल चुका है और उसके बारे में कहा जाता है कि उसके आस पास समय का प्रवाह बहुत धीरे हो जाता है या रुक जाता है। कही हमारे ब्रह्मा जी उसके आस पास ही तो नही रहते है, क्योंकि ऐसा मिलता है कृष्णलीला में की ब्रह्मा जी ने कृष्ण की गायों और दोस्तो को बस एक दिन के लिए अपने लोक में ले गए थे लेकिन जब वापस आये तो पृथ्वी पर एक वर्ष बीत चुका था।
खैर, इस प्रश्न का सटीक उत्तर मिलना तो काफी मुश्किल है क्योंकि इस प्रश्न का उत्तर खोजने में किसी भी आम आदमी को तीन-चार जन्म तो ही लग जायेंगे।