घर के सभी वास्तु-दोषों का निवारण इस एक पोस्ट में, घर का वास्तुशास्त्र हिन्दी मे

घर के वास्तु दोषों का निवारण

घर के सभी वास्तु-दोषों का निवारण, घर का वास्तु नक्शा
घर का वास्तु

दोस्तों, आज हम आपको बताने वाले हैं घर के कुछ वैसे वास्तु दोषों और उनके निवारण के बारे में जो आपके, आपके परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य, आपके कारोबार, आपकी आर्थिक स्थितियों, घर की सुख-शांति इत्यादि पर गहरा प्रभाव डालती है। 

तो आइए, भगवान का नाम लेकर शुरू करते है: ओम श्रीहरि
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घर का वास्तु
जैसा कि ऊपर दिखाया गया है:-
• घर के बीच के हिस्से को घर का केंद्र कहा जाता है।
• पूूूरब-उत्तर कोने को दैवीय कोण कहते है।
• उत्तर-पश्चिम कोने को वायवीय कोंण।
• पश्चिम-दक्षिण कोने को राक्षसी कोण।
• तथा दक्षिण-पूरब कोने को अग्नि कोण।


केंद्र 

घर के सबसे मध्य भाग(केंद्र) में आप हॉल बना सकते हैं और इसको बैठका के तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। मेहमानों के लिए आप यहाँ बैठने और चाय-नाश्ता देने के लिए उपयुक्त साधन की व्यवस्था बना सकते है।

राक्षसी कोण

इस कोण का जैसा कि नाम ही है, भूलकर भी इस कोण में पूूूजा घर या किचन न बनाये। वरना देेेवी-देेेवता के आशीर्वाद के बजाए घर मे नकारात्मक ऊर्जा का वास हो जायेगा। जिसके कारण अकसर ऐसे वास्तु-दोष वाले घरों में रहने वाले बेवजह बीमारी होने की शिकायत करते है। इस कोण पर आपको शौचालय और स्नान घर बनाना चाहिये। लेकिन इस कोण पर गड्ढे वाली संंरचना नही रखनी चाहिये। इसलिये शौचालय के टंकी को वायवीय कोण में शिफ्ट कर देें। इससे घर मे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव ख़त्म होगा।

दैवीय कोण   

घर का पूरब-उत्तर कोना, दैवीय कोण, में पूजाघर या मंदिर बना सकते हैं। इस कोण पर पानी टंकी, या गड्ढे वाली संरचना नही रखनी है। इस कोने में भूलकर भी शौचालय या स्नान घर न बनाए। यदि आप बना चुके हैं तो यही सलाह रहेगी कि जल्द से जल्द उसे रक्षसी कोण में शिफ्ट कर दें, वरना डॉक्टर वैद्य का चक्कर समाप्त नही होगा, घर मे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव रहेगा, मन अशान्त रहेगा।
 दैवीय कोण और रक्षसीय कोण की संरचनाओं में भूलकर भी हेरा-फेरी न करें, ऊपर जैसा बताया गया है, उसका ही पालन करे। या फिर अगर आप किन्ही वास्तुशास्त्री को घर बुला सकते हैं, तो बुला के वो जमीन दिखा लें और उचित परामर्श लें। क्योंकि जमीन का भुतकाल में कैसा इस्तेमाल हुआ है, इस बात से भी वहाँ की ऊर्जा पर काफी प्रभाव पड़ता है।

वायवीय कोण  

घर का उत्तर-पश्चिम कोना, वायवीय कोण, में आप पानी की व्यवस्था वाली संरचनाओं को रख सकते हैं, जैसे चापाकल, मोटर, पानी टंकी इत्यादि। इस कोण पर वायु 
तत्व का प्रधानता होता है, इसलिए किचन का निर्माण भूलकर भी इस कोने पर न करे।
इस कोण पर आप शौचालय के टंकी का निर्माण करें। अगर राक्षसी कोण पर शौचालय या स्नान घर का निर्माण किसी कारणवश नही करवा पा रहे है, तो इन्हें आप वायवीय कोण में रख सकते हैं।

अग्नि कोण  

अग्नि कोण में आप घर का किचन बना सकते हैं। लेकिन भूलकर भी इस कोने पर पानी टंकी या पानी व्यवस्थाओं का निर्माण न करवाएं। क्योंकि जल तत्व और अग्नि तत्व में मेल नही होता है। अगर आप ऐसा करते है तो घर मे नकारात्मक ऊर्जा का वास हो जाएगा, जिससे मन अशांत रहेगा।

ये तो हो गया घर के केंद्र और चार कोनों का वास्तु। इन चार कोनो और केन्द्र के आलावा बाकी की जगहों में रहने के लिए कमरों के निर्माण करें।

घर का मुख्य द्वार किस दिशा में रखें?

घर का मुख्य द्वार यदि आप पूरब या पश्चिम में रखते हैं, तो घर के बीचोबीच रखें। यदि उत्तर या दक्षिण में है तो बीचोबीच न रखकर थोड़ा सा पूरब की तरफ शिफ्ट करें, जैसा कि नीचे दिखाया गया है
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इसके अलावा कोशीश करेें की घर का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा दक्षिण दिशा की तरफ रखेें, उत्तर में कम-से-कम संंरचनाओ निर्माण करवाये। इससे आपके कारोबार पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा, घर की आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी।


अगर किसी एक कमरे में ही शौचालय और स्नान घर बनवाना हो, तो फिर उस कमरे के वास्तु   की गणना की जाती है। अर्थात् उस कमरे का जो राक्षसिय कोण होगा, उस कोने में इनका निर्माण कराएं।

तो दोस्तों, आज की जानकारी आपको कैसी लगी, कमेंट में जरूर बताएं। भगवान आपके घर मे सुख समृद्धि की वृद्धि करें, यही हमारी कामना रहेगी।
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