मन और स्वास्थ्य लाभ।। क्या मन की शक्ति स्वास्थ्य लाभ पा सकते हैं?
मन और स्वास्थ्य लाभ का गहरा नाता है। यहाँ हम जानेंगे कि मन और शरीर के स्वास्थ्य के बीच किस प्रकार रिश्ता है। क्या मन की शक्ति सेे स्वास्थ्य लाभ पाया जा सकता है? क्या हमें मन की शक्ति से स्वास्थ्य लाभ पाने की कोशिश करनी चाहिए?
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मन और स्वास्थ्य लाभ |
मन और स्वास्थ्य लाभ
हम सभी मनोदैहिक है: मन और शरीर का संगम। हमारे मन की स्थिति हमारे शरीर को प्रभावित करती है तथा हमारे शरीर की स्थिति हमारे मन को प्रभावित करती है। अर्थात, जब हम शारीरिक रूप से बीमार होते हैं, तो इसका असर हमारे मन और दिमाग की कार्य करने की क्षमता पर साफ देखा जा सकता है।
वैसे ही जब मानसिक रूप से पीड़ित होते हैं तो शरीर मे विभिन्न प्रकार के रोग जन्म ले लेते हैं।
मन की दुर्बलता से हम बीमारी को आमंत्रण दे सकते हैं, एवं मन की शक्ति से मन और स्वास्थ्य लाभ में तालमेल भी पा सकते हैं।
तो क्या अगर हम प्रयास करें तो अपनी मन की शक्ति से स्वास्थ्य लाभ पा सकते हैं? बेशक कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपके मन को बहुत शक्तिशाली होने की आवश्यकता है। मन जब अपनी पूरी शक्ति इस्तेमाल करने के काबिल रहेगा तब यह शरीर को स्वस्थ रख सकता है।
ऐसे कितने ही योगी आज भी हैं जिन्होंने कई वर्ष से कुछ भी खाया पिया नही है, फिर भी हम और आप की तरह ही स्वस्थ हैं। वैज्ञानिकों ने ऐसे योगियों के शरीर की जांच भी की लेकिन कुछ भी पता नही लगा पाएँ।
लेकिन आजकल लगभग सभी लोगों ने अपने मन को इतने सारे बंधनो में जकरा हुआ है कि यह बीमार हो गया है। बीमार इएलिये क्योंकि, जितनी भी मानसिक तकलीफें इंसान झेलता है सबके कारण इंसान के खुद के कल्पना और विचार ही होते है।
तो आप ही सोचिये, जो मन काल्पनिक बातों और ऐसे विचारों ,जिनका वास्तविक दुनिया में कोई अस्तित्व नहीं है, के कारण अगर पीड़ा भोगने लगे, तो क्या इसे स्वस्थ मन कहा जा सकता है? बिल्कुल नही।
दुर्भाग्यवश आज लोगों का जीवन बाहरी दुनिया मे इतना व्यस्त है कि वे अपने भीतर के पहलुओं को देख ही नही पाते। भौतिक वस्तुओं और भोग-विलाश में लिप्त मानव अपनी मन की अपार शक्ति को भूल गए हैं। इसलिए यदि एक बार शरीर में कोई नुकसान प्रकट हो जाता है तो आपको उसका इलाज चिकित्सक से अवश्य ही करवा लेना चाहिए।
मैं यह नहीं कह रहा कि आप अपने मन की शक्ति से इसे ठीक नहीं कर सकते, किंतु अगर आपको यह बिल्कुल साफ साफ नही दिखता की आपके शरीर के भीतर क्या गड़बड़ी चल रही है, और जो भी गड़बड़ी हुई है वो स्वयं से ठीक हो जाएगी तब तक आप चिकित्सक के ही भरोसे रहें क्योंकि आपके पास एक ही जीवन है। इसलिए ऐसी कोशिश ना करें।
आपको खुद को पीड़ा देने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि आपके शरीर को स्वस्थ रखने की जिम्मेवारी आपकी है। जब आप ही इसको दुख पहुँचाने लगेंगे तो यह दुनिया का सबसे बेबस जीव होगा।
मान लीजिए, अगर आपके पीछे मैं एक खंजर लेकर मारने दौडूं, तो आप दूर भागने की कोशिश करेंगे, मदद मांगेंगे। लेकिन अगर आप ही एक खंजर खुद के शरीर में चुभोने लगे, तो यह कहां भागेगा। इसका बचना असंभव हो जाएगा।
आप अपने शरीर के साथ जो भी जबरदस्ती करते हैं, इसे बस उससे गुजरना पड़ता है। दुनिया में सबसे भयंकर यातना खुद को दुख देना है, क्योंकि तब यह एक बेबस जीव हो जाता है, कहीं भाग नहीं सकता। इसके लिए कहीं कोई सुरक्षा नहीं होती।
अगर कोई बहुत कमजोर व्यक्ति है और आप उन्हें परेशान करते हैं तो वह भी आप से बदला ले सकता है, जब आप सोए रहेंगे। लेकिन आपका शरीर आपके सामने बिल्कुल बेबस है। इसलिए जब आपके शरीर में कोई खराबी आती है और दवाओं की जरूरत हो तो जरूर ले लेनी चाहिए।
हां, आप इसके साथ विचारों की प्रक्रिया की भी मदद ले सकते है। अगर आप चाहेंगे कि आप बस बैठकर अपने सोच की शक्ति से अपनी बीमारी ठीक कर ले, तो मुझे डर है कि आप कहीं खुद को ना मिटा ले। अगर दूध पिएंगे तो वह भी आपके पेट में जाकर जहर बन सकता है। लेकिन यदि आप जहर पिएंगे और उम्मीद करेंगे कि कुछ अच्छा हो जाए, तो मैं आपके लिए बस दुआ कर सकता हूं।
जीवन ऐसे काम नहीं करता। आप यदि जहर पिएंगे तो वह आपके साथ कुछ बुरा ही करेगा।
मन
यही मन के लिए भी लागू होता है। आपका मन बहुत ही सुंदर चीज है जो हमेशा आपका भला सोचना चाहता है, लेकिन पता नहीं क्यों लोग इसे अपना दुश्मन बना लेते हैं।
यदि आप अपने मन को गुस्सा, नफरत, घृणा रूपी जहर देंगे तो निश्चित ही यह आपका दुश्मन बन जाएगा। अगर आप किसी से नफरत करते है, उसे देखते ही गुस्सा आता है और आप चाहते हैं कि वह मर जाए लेकिन यह गुस्सा रूपी जहर तो आपके अंदर है। तो भले ही वह ना मरे आप जरूर मर सकते हैं।
इसलिए जरूरत है अपने मन को अपना दोस्त बनाने का। यदि आप दूसरों को खुश नहीं रख सकते तो कम से कम आप खुद को खुश रखें। यदि आपका मन प्रसन्न रहेगा तो आपको अपने आसपास की हर चीज सुंदर लगेगी और तब आपके मन में नफरत और गुस्सा जैसी बुराइयां जन्म नहीं लेंगी। तो आपको करना बस इतना है कि खुद को खुश रख लेना है। बाकी सब खुद- ब- खुद ठीक हो जाएगा।