प्रेम की परिभाषा।। प्रेम और मोह में अंतर
प्रेम की परिभाषा - प्रेम तो ऐसी चीज है की प्रेम की परिभाषा समझाने के लिए स्वयं भगवान को अवतरित होना पड़ा। प्रेम क्या है, भगवान कृष्णा के द्वारा यह अच्छे से समझाया गया है। प्रेम और मोह में अंतर अक्सर लोग नही समझ पाते हैंं। तो आइए जानते हैं, प्रेम की परिभाषा, एवं प्रेम और मोह में अंतर।
प्रेम की परिभाषा
प्रेम कुछ करने या निभाने की चीज नही है। बल्कि प्रेम को आप जीते है, उसका एहसास करते हैं। आप अपने भौतिक स्वरूप को मिटाकर ही सच्चे प्रेम के रस का स्वाद चख सकते है। जब आप प्रेम में जीना सीख जाएंगे तब आपको हर चीज सुखद लगेगी।
आप एक स्थिति की कल्पना कीजिये जिसमे आपको किसी से प्यार ही हो गया है और उस व्यक्ति के तरफ से भी कुछ सकारात्मक संकेत आपको मिले हैं। अब आप उसके ही ख्यालो में खोए हैं और आपको हवा का बहना भी रोमांटिक एहसास दे रहा है। लेकिन हवा तो वैसे ही बह रहा है जैसे वो हमेशा बहता है। ये और कुछ नही बल्कि आपके अंदर का वो एहसास है जो हवा में मिश्रि घोल रहा है। लेकिन जब वही व्यक्ति आपके प्रपोजल को ठुकरा देता है तो सब बेमानी सा लगता है, हर चीज दुखदायी लगने लगती है।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आप अपने अंदर की भावनाओ को, अपने अंदर के प्रेम को अपने स्वार्थ से जोड़ देते हैं। आप कही न कही उस व्यक्ति को अपने अधिकार में लेने को उत्सुक हो जाते है, साथ ही उसके साथ भोग विलास की भी इच्छा पनपने लगती है जो उस निश्छल प्रेम के प्रभाव को कम कर देती है। और वास्तव में आपका वही स्वार्थ आपके दुखो का कारण बनता है लेकिन बदनाम प्यार होता है।
अगर आप इस स्वार्थ पर विजय पा लेते है फिर आपको प्रेम में कभी दर्द नही होगा, आप स्वयं प्रेम की प्रतिमूर्ति बन जाएंगे, आपके अंदर ब्रह्मांड के कण-कण के लिए प्रेम होगा, आपको हर चीज सुखद लगने लगेगी, परमानंद के आंसू आपके गालों को धोएंगे।
प्रेम और मोह में अंतर
प्रेम और मोह में अंतर बहुत ही सूक्ष्म है, जिसे अक्सर लोग समझ नही पाते।
प्रेम जीवन का एक अलग आयाम है जिसका द्वार खुलने के बाद आपको पूरी दुनिया एक अलग ही स्वरूप में दिखाई देती है। लोग अज्ञानता में अक्सर 'प्रेम क्या है'
प्रश्न का लोग अक्सर गलत मतलब समझ लेते हैं। सभी लोग मोह और प्रेम को एक समझ बैठते है, लेकिन मोह आपकी भौतिकता का अंश है जबकि प्रेम आपका सूक्ष्मतम अंश है।
हालांकि मोह और प्रेम में अंतर सामान्यतः समझना मुश्किल होता है लेकिन फिर भी दोनों में बहुत अंतर है। मोह आपको इस माया जाल के जंजाल में बांधता है जबकि प्रेम आपको भौतिकता से आजाद करता है। मोह आपको वास्तविकता को स्वीकार करने से रोकता है इसलिए दुख का भी कारण बनता जबकि प्रेम आपको वास्तविकता के दर्शन कराता है।
जो लोग सचमुच एक दूसरे से बहुत प्रेम करते है, वही लोग प्रियजन को खो देने के बाद भी हालात को शालीनतापूर्वक संभाल पाएंगे।
प्रेम कोई रिश्ता नही है, प्रेम तो भावनाओं की एक तरह की मिठास है। प्रेम को गहराई से जानने के लिए आपके कम-से-कम कुछ अंश को मिटना होगा, वरना किसी और के लिए जगह नही होगी।