दुष्कर्म के कारण तथा निदान



आज के विकसित समाज मे भी अगर स्त्रियों और बेटीयों को डर के साए मे जीना पड़े, तो यह हम मानवो की सामाजिक स्तर पर बहुत बड़ी विफलता है। आए दिन हमें दुष्कर्म की खबरें सुनने को मिलती रहती है, और हम उसे नजरअंदाज कर आगे बढ़ जाते हैं। तो आइए, आज गहराई से जानने की कोशिश करते हैं, दुष्कर्म के कारण तथा इसके निदान:

भगवान् ने हर प्राणी को अपना वंश आगे बढ़ाने के लिए एक खास शक्ति दिया है। लेकिन हमारे समाज मे ऐसे अनेक लोग होते हैं, जो स्वयं के भीतर के रसायन के गुलाम होते हैं, तथा इसके चक्कर मे किसी भी हद तक गिर सकते हैं। ऐसे लोग निःसंदेह विकृत मानसिकता वाले होते हैं। वैसे भी यह ऐसी चीज है जो एक बार दिमाग पर हावी हो जाए तो शरीर काबू से बाहर हो जाता है। 

भले ही दुष्कर्म के जुर्म में फांसी की सजा दी जा रही है, और दी भी जानी चाहिए, लेकिन कितना भी भयंकर सजा देना, इस समस्या का स्थायी समाधान नही बन सकता। क्योंकि यह व्यक्ति विशेष के भीतर की मानसिकता का परिणाम होता है।  

जब तक इंसान जागरूक न हो जाए, शिक्षित न हो जाये, तब तक ऐसे घटिया मानसिकता वाले लोग पनपते रहेंगे। आज हमारे पास तेज इन्टरनेट की सुविधा है, लेकिन इसका उपयोग कहा हो रहा है? एक सर्वे में ये पाया गया कि लगभग 70% लोग इन्टरनेट अपना अधिकाधिक समय गंदे विडियोज (व्यस्क विडियो) देखने में बिताते हैं। और इसमें सबसे ज्यादा युवा शामिल हैं। ये दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। हम इस धरती पर विकास के चरम पर पहुँच चुके हैं। हमारे जितना विकसित कोई दूसरा प्राणी नही है। फिर भी हमारी ये दशा है।

और अगर भविष्य में भी ये बीमारी खत्म नही होती, तो उसके जिम्मेदार भी हमलोग ही होंगे, सिर्फ मर्द ही नही बल्कि स्त्री भी। क्योंकि घर और समाज के परिवेश का बच्चे की मानसिकता पर गहरा असर होता है। गाँवों में लोग ज्यादा शिक्षित नही होते, ये सच है इसलिए इसके बारे में उचित शिक्षा अपने बच्चों को नही दे पाते। लेकिन शहरों के लोग भी आजकल जरूरत से ज्यादा शिक्षित हुए जा रहे हैं। और तब फिर वहाँ से भी वही परिणाम हासिल हो रहे हैं।

मैंने अपने गांव में देखा है, कि जब कोई लड़का किसी बात पे किसी लड़की पे चिल्ला के उसको चुप कर देता है तो उस लड़के की माँ को कोई फर्क नही पड़ता। (मैं सभी माताओं की बात नही कर रहा, वो बेशक पिछड़े समाज की होंगी)। लेकिन अगर कोई लड़का किसी लड़की से कोई गलत व्यवहार कर देता है और लड़की बदले में उसे कुछ सुना देती है, लेकिन तब अगर लड़का पलट के जवाब नही दे पाता, तो उस लड़के की माँ ताना भी देती हैं कि कैसा मर्द है तू। घर या समाज की ऐसी स्थिति बच्चे का दिमाग खराब करने के लिए काफी है।

मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेज की बात है, वहाँ की एक लड़की को उसकी होस्टल की वार्डन ने इसलिए होस्टल से निकाल दिया क्योंकि उस लड़की को एक दूसरे कॉलेज का लड़का परेशान करता था, और अपने लफंगे दोस्तों के साथ उस होस्टल के आस पास घूमता था, और उस लड़की का नाम चिल्लाता था। वो वार्डन भी एक महिला ही थी। उन्होंने उस लड़के के खिलाफ कानूनी कार्यवाही न करके लड़की को ही होस्टल से निकाल दिया। ये कब तक चलेगा।

वहीं अगर पुरुष की बात की जाए, तो एक बच्चे पर अपने पिता के व्यवहार का गहरा असर पड़ता है। उसके पिता उसकी माँ से, दीदी से , आस पास की अन्य महिलाओं से कैसे पेश आ रहे है इस सबका असर उसपे पड़ता है, और वही सब सीखता है। सिर्फ अपने पिता से ही नही अपितु अपने पूरे समाज से वो सीखता है।

जरूरत है, एक स्वस्थ समाज की स्थापना की। ये आज हम और आप मिलकर ही कर सकते हैं। लोगों को जागरूक करना ही इसका एकमात्र उपाय है। हो सकता है कि जीवन पर्यंत भी अथक परिश्रम करने पर पूरी सफलता न मिले। लेकिन समाज एक सही दिशा जरूर दी जा सकती।

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