जीवन का लक्ष्य: भौतिक एवं अध्यात्मिक


जब आप जीवन मे लक्ष्य की बात करते हैं, तो दो तरह के लक्ष्य हो सकते है। एक भौतिक लक्ष्य जैसे डॉक्टर, इंजीनियर या कुछ और बनना, दूसरा है आध्यात्मिक लक्ष्य

भौतिक लक्ष्य निर्धारित करना आपके अपने हाथ मे होता है। और जब आप इसे पा लेते है, तो यह बिल्कुल ऐसा ही है, कि आपने किसी खास तरह के भौतिक कौशल में खुद को निपुण बना लिया है।

अध्यात्मिक लक्ष्य को समझने के लिए आपको खुद को समझना होगा। यहाँ हम किसी ऐसे लक्ष्य की बात नही कर रहे हैं, जिसे आपको पाना है, बल्कि कुछ ऐसा है जो आप खुद हैं। आपको पहचानना है।

आपका स्थूलकाय शरीर तो आप नही ही हैं, ये सहज बुद्धि से आप भी समझ सकते हैं। आपके emotions, feelings, thoughts ये सब भी आप नही हैं, क्योंकि ये आपके है, इसलिए आप स्वयं ये नही है। आप अपने आप को इस प्रकार trained भी कर सकते हैं कि आप इन सब चीजों को कंट्रोल कर सकते है। आपकी वो चेतना जो आपको इन सब के बीच के अंतर का एहसास कराती है, जिसे हम चेतन मन कहते हैं, जब आप उससे भी परे चले जाते है, तो आप शून्यता में पहुँच जाते हैं।

आप अपने मन के द्वारा अपने शरीर से कुछ भी करवा सकते हैं। अपने विचारों से मन को बदल सकते हैं। आपके विचार उत्पन्न होते हैं आपके द्वारा इकठ्ठी की गई information के नतीज़तन।

जब आप अपने चेतन मन को पा लेते हैं तो आप अपने विचारों को बदल सकते हैं। वो बाहरी information के मोहताज नही रह जाएंगे। जब आप शून्यता में पहुँच जाते है तब आपके विचार खत्म हो जाते हैं और तब आप साफ तौर पर खुद को अपने भौतिक अस्तित्व से अलग करके देख पाएंगे।

जब आप ऐसा कर पाएंगे, तब आप जीवन को जान जाएंगे और आपको ये पता चलेगा कि इस भौतिक आयाम में आपका(जो आप स्वयं हैं उसका) एक ही लक्ष्य है जो आपके जन्म लेते ही प्रकृति द्वारा निर्धारित कर दिया गया था, और प्रकृति द्वारा ही पूरा कर दिया जाएगा। वह है, समय आने पर इस शरीर का त्याग करना।

इसका ये मतलब बिल्कुल भी नही है, कि आपका दुबारा जन्म होगा। इसका ये भी मतलब नही है कि आपका अस्तित्व खत्म हो जाएगा। आप अनंत का हिस्सा थे, और फिर से अनंत में मिल जाएंगे। जीवन को और समझने के लिए आप यहाँ पढ़ सकते है:-जीवन: एक रहस्य!

आप भौतिकता को ही सब कुछ मान लेते है, लेकिन आपका अभौतिक अस्तित्व आपके भौतिक अस्तित्व के मुकाबले  बहुत ज्यादा विशाल है। उसकी विशालता को देखने के लिए आपको खुद के भीतर देखना होगा। आपको वो किताब पढ़नी होगी जो आप खुद हैं। आपको खुद को जानने के लिए खुद को पढ़ना होगा।

अपने शरीर को आप कुछ हद तक जानते है, इसलिए आप निर्णय ले पाते हैं कि आपके शरीर को कैसे स्वस्थ रखने है। आप वैसे ही अपने मन को समझिये। अपने feelings और emotions को समझिये, की ये कैसे काम करते है। विचारों को समझिये। ऐसा करके आप धीरे धीरे अपने चेतन मन की तरफ अग्रसर होंगे। और फिर शून्यता की तरफ। और वहीं पे आप खुद को जान पाएंगे।

अगर कुछ लक्ष्य बनाना है तो जीवन मे सबसे पहले इसे ही लक्ष्य बनाइये, क्योंकि अगर आप 'मैं कौन हूँ' का उत्तर नही जानते, तो आपके अस्तित्व का मतलब ही क्या है? आप है ही कौन? आप खुद ही पता लगाइए।

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1 Comments
  • बेनामी
    बेनामी 7 जून 2024 को 12:09 pm बजे

    Bhotik bhawanathmak sandarbh ✔️

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