Mahamrityunjay mantra in hindi || महामृत्युंजय जाप
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Mahamrityunjay mantra in hindi |
दोस्तों, हमारे पावन जन्मभूमि भारत मे अनेकों महान ऋषि-मुनियों ने ऐसे-ऐसे मंत्र दिए हैं, जो हजारों वर्ष बाद हमें आज भी लाभान्वित कर रहे हैं। ऐसा ही एक शक्तिशाली मंत्र है, महामृत्युंजय मंत्र। आज हम इसी मंत्र की विशेषता और फायदे जानेंगे। इस पोस्ट में आप निम्न बातें जानेंगे :
- Mahamrityunjay mantra in hindi
- महामृत्युंजय मंत्र लिखा हुआ
- महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
- महामृत्युंजय मंत्र की विशेषता
- महामृत्युंजय मंत्र जाप के फायदे
महामृत्युंजय मंत्र भगवान् शिव को समर्पित है। जैसा की नाम से ही स्पष्ट है, महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ है मृत्यु को जितने वाला महान मंत्र। इस मंत्र के जाप से अकाल मृत्यु का भय, क्लेश, कष्टदायी रोग, डरावने सपने इत्यादि से पूर्णतः छुटकारा मिल जाता है। यह आपके भीतरी हिस्से के साथ-साथ आपके आस-पास के वातावरण में भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। अगर आप भयमुक्त, रोगमुक्त, स्वस्थ जीवन जीना चाहते हैं, तो महामृत्युंजय मंत्र का रोज जाप करना चाहिए। महामृत्युंजय मंत्र लिखा हुआ निचे दिया गया है।
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः
ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात
ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ !!
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
त्रयम्बकं :- तीन नेत्रों वाले , त्रिनेत्र।
यजामहे :- स्वयं को किसी से जोड़ना , समा जाना।
सुगंधिम :- अच्छी खुशबू वाला, सुगन्धित।
पुष्टि:- सुपोषित।
वर्धनम :- शक्ति देने वाला।
उर्वारुक:- ककड़ी या खीरा।
मिव :- जिस तरह , जैसे।
बन्धनान :- बंधन से मुक्त करना।
मृत्योर्मुक्षीय :- मृत्यु से मोक्ष की ओर ।
मामृतात :- सहूलियत से, बहुत ही सरल तरीके से।
हे त्रिनेत्र (शिव)! हे तीनों लोकों में खुशबू फ़ैलाने वाले! तथा तीनो लोको का पोषण करने वाले! हम यह विनती करते हैं की हमें आप स्वयं में समा लें। हे शिव ! हमें भयमुक्त जीने की शक्ति प्रदान करें। जिस प्रकार ककड़ी पक जाने के बाद अपने बेल से स्वतः ही छूट जाते हैं, उसी प्रकार हमें मृत्यु से सहूलियत के साथ मोक्ष प्रदान करें।
इस मंत्र के बिच की दो लाइने ही इसका शक्तिशाली अंश है। महामृत्युंजय मंत्र की पहली और आखिरी लाइनें 'शब्द प्रशामक' अथवा 'मंदक' हैं। पहली लाइन आपको सामान्य चैतन्य ऊर्जा से उठकर चैतन्य ऊर्जा के के तीव्रतम स्तर में धीरे से प्रवेश करने में मदद करती है। अगर आप पहली लाइन के बिना ही महामृत्युंजय मंत्र का सही जाप करेंगे, तो ऊर्जा की तीव्रता में अचानक आये बदलाव को शायद आप सह न पाए,और मानसिक रूप से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
उसी प्रकार आखिरी लाइन ऊर्जा के तीव्रता को मंदन करते हुए सामान्य स्थिति में लाता है।
यही कारण है कि सामान्यतः सम्पूर्ण महामृत्युंजय मंत्र का ही जाप करना चाहिए।
महामृत्युंजय मंत्र की विशेषता
महामृत्युंजय मंत्र बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है। इसमे सातों चक्रों की शक्ति समाहित है। इसके जाप से जीवन से मृत्यु का भय निकल जाता है तथा समृद्धि और शांति प्राप्त होती है। महामृत्युंजय मंत्र की रचना ऋषि मार्कण्डेय ने की थी। इसे त्रयंबकम मंत्र, रूद्र मंत्र और मृत संजीवनी मंत्र के नाम से भी जाना जाता है। इस मंत्र का विवरण ऋग्वेद के सातवें अध्याय, यजुर्वेद के तीसरे अध्याय तथा अथर्ववेद के चौदहवे छंद में मिलता है। इस मंत्र की शक्ति और महत्व को इस बात से ही समझ सकते है कि, ऋषि मुनियों ने इस मंत्र को "वेदों का हृदय" कहा है।
महामृत्युंजय मंत्र जाप के फायदे
इंसानों पर महामृत्युंजय मंत्र जाप के फायदे देखने के लिए वैज्ञानिकों ने अनेकों प्रयोग किये हैं। भारत का सबसे बड़ा अस्पताल एम्स के डॉक्टरों ने इस मंत्र के फायदे देखने के लिए 2018 में चालीस मरीजों पर एक प्रयोग किया। ये सभी मरीज ICU में भर्ती थे। डॉक्टरों ने मरीजों को 20-20 के दो ग्रुप में बाँट दिया। इनमे से 20 मरीजों का इलाज महामृत्युंजय मंत्र सुनाने के साथ साथ किया गया। जबकि बाकी 20 मरीजों को इस मंत्र का जाप नहीं सुनाया गया। डॉक्टरों ने पाया की महामृत्युंजय मंत्र का जाप सुनने वाले मरीजों की हालत में काफी तेजी से सुधार हुआ, तथा 18 मरीजों को आसानी से बचा लिया गया। वहीं, मंत्र का जाप नहीं सुनने वाले मरीजों की हालत में सामान्य सुधार ही देखा गया।
इस प्रकार वेदों और धर्म-ग्रन्थों में महामृत्युंजय मंत्र के लिए किये दावे पूरी दुनिया के सामने पूर्णतः सटीक साबित हुयी।
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