क्या भगवान होते है? अगर हाँ, तो भगवान क्या है?
क्या भगवान होते हैं?
भगवान एक ऐसा शब्द है, जिसे सुनते ही हमें एक ऐसी शक्ति के होने का ख्याल आता है जिसके पास हर वो चीज करने काबिलियत है जिसकी हम कल्पना कर सकते है, या जिसकी कल्पना भी नही कर सकते।
तो मूल प्रश्न ये है कि क्या वास्तव मे ऐसी कोई शक्ति है? और क्या वही इस दूनिया को चला रहा है?
अगर वास्तव मे ही इन प्रश्नो के उत्तर चाहिए तो सबसे पहले हमे विश्वास के रास्ते से हटना होगा। क्योंंकि हमाारे विश्वास करने से सच्चाई पर कोई असर नही पडे़गा। लेकिन आप सच्चाई को जानने का मौका जरूर गँवा देेंगे।
अगर आप किसी चीज के बारे में पूरी सच्चाई नही जानते, और उसमें विश्वास कर लेते हैं तब आप उसकी सच्चाई कभी नही जान पाएंगे।
गौतम बुद्ध की वो कहानी तो सुने ही होंगे :-
सुबह का समय था। गौतम बुद्ध की सभा लगी थी। उसमें एक व्यक्ति आया था, जो बहुत बड़ा आस्तिक था। उसने अपना पूरा जीवन राम के चरणों मे अर्पित करने का प्रण ले लिया था। और सैकड़ों-हज़ारों लोगों को अपने तर्क से भगवान के होने का विश्वास दिला चुका था।
प्रण करने के बाद वह हमेशा राम का ही नाम जपता। दिन-भर सोते जागते बस राम-राम। जब तीन दिन हो गए तो उसके मन मे एक ख्याल आया। क्या हो, अगर भगवान नही हुए तो? तब तो मेरी सारी मेहनत बेकार चली जाए। तो उसने सोचा कि चला जाये, गौतम बुद्ध तो आत्मज्ञानी है ही, वो बता देंगे।
उसने पूछा, 'क्या भगवान सच मे हैं?' बुद्ध नेे उसकी तरफ देखा और देखते ही सब समझ गए, फिर बोले, 'नही'।
पहली बार उन्होंने भगवान के होने या न होने के प्रश्न का जवाब दिया था। इससे पहले उनके अनुयायी जब भी ये प्रश्न करते, वो कोई जवाब नही देते थे। आज जवाब मिल गया।
खुशी की लहर दौड़ गयी। सबने अपने-अपने मन मे जो भी लालशा छुपा रखी थी, लेकिन उसको पाप मानकर भगवान के डर से पूरा नही करते थे, वो सब पूरा किये।
मैं कौन हूँ।। अंतरात्मा क्या होती है
शाम को फिर सभा लगी थी। अबकी बार एक बहुत बड़ा नास्तिक व्यक्ति आया था। जिसने सैंकड़ो लोगो को अपने तर्क से ये यकीन दिला चुका था कि भगवान नही होते है।
फिर एक दिन उसे ख्याल आया कि कही भगवान सच मे हुए तो? तब तो मुझे बहुत गंभीर यातनाएं दी जाएंगी मरने के बाद। तो सोचा, चलो एक बार पुष्टि कर लिया जाए।
उसने पूछा, 'क्या भगवान होते है?' बुद्ध ने ऊपर देखा और माजरा समझ गए, बोले, 'हाँ'। सभी भक्तों में बेचैनी की लहर दौड़ गयी। भगवान ये कैसा खेल रहे हैं।
तब गौतम बुद्ध ने समझाया, "अगर आप सच्चाई नही जानते तो आपके विश्वास करने या न करने से कोई फर्क नही पड़ता। आप बस सच्चाई को खोजने का प्रयत्न कीजिये। ये सच्चाई जानने के लिए आपको स्वयं को जानना होगा।"
भगवान क्या हैं?
और जब आप " मैं कौन हूँ" उत्तर पा लेंगे, तब आप हर जगह खुद को अनुभव कर पाएंगे। आपके 'स्व' का दायरा इतना बढ़ जाएगा, की हर कण में आपको 'स्व' का एहसास होगा।
इसको ही आम भाषा मे आत्मा और परमात्मा का मिलन कहा जाता है। आम लोगो के समझने के लिए परमात्मा को ऐसे दिखाया गया हैं कि वो कण-कण में मौजूद हैं, और आप उसका अंश हैं।
लेकिन अगर गहराई से देखें, तो जो हैं वो आप ही हैं। भगवान और परमात्मा जैसे शब्द मानवों द्वारा ही बनाये गए हैं।
जब तक आप स्वयं का एहसास इस भौतिक दुनिया से परे जाकर नही कर पाएंगे, तब तक आप इस सच का एहसास नही कर पाएंगे।
Rabb hai ye sach hai rabb ko pane ka saral rasta kya prem hi hai ager prem saral rasta hai toh phir insaan prem kyu nahi karta
Kyu koi garden bhukh se mar Mata hai