दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति, विस्तार से जानें

*दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति

दोस्तों, आज हम बात करेंगे, एक ऐसी दुर्लभ खगोलिए घटना की, जिसे दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति या महान संयोजन के नाम से जाना जाता है। 
जब हमारे सौरमंडल के दो विशालकाय ग्रह, शनि और बृहस्पति, सूर्य की परिक्रमा करते हुए एक दूसरे के सबसे करीब आ जाते हैं, तो इस घटना को दो ग्रहो की शीतकालीन संक्रांति के नाम से जाना जाता है। यह खगोलिए घटना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योकि ऐसा संयोजन 20 वर्षों में बस एक बार बनता है। 
दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति
दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति

दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति की खगोलीय घटना जब घटित हो रही होती है, तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे शनि और बृहस्पति ग्रह, एक दूसरे मे समा रहे हों। 
तो दोस्तों, आइये जानते हैं दो  ग्रहो की शीतकालीन संक्रांति  क्या है? मानव पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है? तथा इस संक्रांति पर आपको अपनी राशि के अनुसार क्या करना चाहिए, और क्या-क्या नहीं करना चाहिए। 


*दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति का इतिहास 

दोस्तों, हमारा ब्रह्मांड समय- समय पर अनेकों विचित्र और अद्भुत नज़ारें प्रस्तुत करते रहता है, जिसे देखकर हम आनंदित तो होते हैं, लेकिन कभी-कभी दांतो तले ऊँगली दबाने पर भी मजबूर हो जाते हैं। ऐसी ही एक घटना है जो आज से 800 साल पहले, 4 मार्च 1226 मे हुई थी, और फिर वही विलक्षण नजारा हमने 21 दिसंबर 2020 को देखा था। यह घटना थी, दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति। 

वैसे तो यह दो ग्रहों की शीतकालिन संक्रांति हर 20 वर्ष में एक बार होती है, जो अपने आप में इस घटना को दुर्लभ बनाती है, लेकिन 21 दिसंबर 2020 को शनि और बृहस्पति का जिस प्रकार का संयोजन बना था, वैसा संयोजन 800 वर्षों में पहली बार हुआ था।

दोस्तों, 800 साल पहले 4 मार्च 1226 को सबसे पहली बार इन दो ग्रहों की शीतकालिन संक्रांति को देखा गया था। इस दिन शनि और बृहस्पति ग्रह इस प्रकार एक दूसरे के करीब आ गए थे, कि वे दोनों किसी एक ही पिंड की तरह नजर आ रहे थे। इस घटना को घटते हुए देखने मे ऐसा लग रहा था, जैसे ये दो विशाल ग्रह एक दूसरे मे समा रहे हो।

इसके लगभग 400 साल बाद, 1623 मे ठीक ऐसी ही घटना दिखी थी। लेकिन सन् 1623 शीतकालिन संक्रांति के दौरान शनि और बृहस्पति के बीच की दूरी, सन् 1226 के शीतकालिन संक्रांति के तुलना में ज्यादा थी। इसके बावजूद 1623 का शीतकालिन संक्राति खास था क्योंकि इस बार गैलिलियो गैलियाई भी इस घटना के साक्षी बने, और लोगो ने दूरबीन की सहायता से घटना को देखा। सन् 1623 मे ही इन दो ग्रहों की शीतकालिन संक्रांति को 'महान संयोजन' का नाम दिया गया।

उसके बाद महज 2020 में ही ब्रह्माण्ड ने अपना 800 वर्ष पूराना इतिहास फिर दोहराया। दिन था 21 दिसंबर 2020 का, जब पूरी दुनिया उन्नत किस्म के टेलिस्कोप की मदद से इस घटना की साक्षी बनी। 21 दिसंबर 2020 के शीतकालिन संक्रांति में शनि और बृहस्पति ग्रह के बीच की दूरी सिर्फ चंद्रमा के व्यास के पाँचवे हिस्से के बराबर थी। शनि और बृहस्पति के एक दूसरे में समाने की प्रक्रिया 16 दिसंबर 2020 से शुरू हुई तथा 21 दिसंबर 2020 को चरम पर थी। 21 दिसंबर को ये दो विशाल ग्रह कुछ इस प्रकार संयोजित थे कि पृथ्वी से देखने पर ये पूर्णिमा की चाँद की तरह दिख रहें थे।

 यह महान संयोजन सिर्फ विज्ञान ही नहीं वरन अध्यात्मिक क्रियाओं के करने के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। इस संयोजन के प्रभाव से जो ऊर्जा धरती तक पहुंचती है, वह हर प्राणी को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रभावित करती है। इन ऊर्जाओं में कुछ तो सकारात्मक होती हैं जिनसे हम लाभ ले सकते हैं, और कुछ नकारात्मक भी होती हैं, जिनके प्रभाव से बचने के लिए कुछ आवश्यक विधि जरूर पूरी करनी चाहिए।

तो आइए जानते हैं, दो ग्रहों के शीतकालीन संक्रांति से राशिफल के अनुसार इंसानों पर क्या प्रभाव पड़ता है।

*दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति का इंसानों पर प्रभाव 

 ऐसा माना जाता है कि इस महान संयोजन के प्रभाव से इंसान सामूदायिक जीवन के तरफ अग्रसर होता है, तथा औद्योगिक तरक्की प्राप्त करता है।  ऐसा भी कहा जाता है कि यह संयोजन हमारे अंदर मानवता के गुणों को जाग्रत करने मदद करता है, तथा अच्छाई का चोगा पहनने के बजाए हमारे भीतर अच्छाई के बीज को अंकुरित करता है। 
यह महान संयोजन मानवता के महान मूल्यों को दर्शाता है तथा न्यायिक गतिविधियों में सकारात्मक प्रभाव डालता है। 
दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति, शनि और बृहस्पति के जीरो डिग्री के झुकाव पर होता है, जो की नयी शुरुआत को दर्शाता है। आध्यात्मिक प्रक्रिया या योग क्रिया की शुरुआत करने के लिए यह बहुत ही अच्छा मुहूर्त होता है।इस पावन अवसर पर शुरू किये गए हर अच्छी आदतों आपके भीतर लम्बे समय तक बनाये रखने में यह मदद करता है। 

बृहस्पति का विस्तरिक गुण और शनि का चमत्कारी संरचना मिलकर आपको अप्राप्य सफलता को भी प्राप्त करने में आपकी मदद करेगा। इस चीज का अनुभव आप स्वयं भी कर सकते हैं। बस आप शीतकालीन संक्रांति के मुहूर्त में किसी ऐसे काम की शुरुआत करें, जो आपके मन में काफी समय से है। अगर आप शिद्दत से उस काम को करेंगे, तो आप पाएंगे की जितनी मुश्किलें आपने सोच रखी थी, वो सभी बड़ी आसानी से हल हो गई। 
ऐसा इसलिए है, क्योंकि जो आप करने की ठानते हैं और उसे पूरा करने के लिए अपनी ऊर्जा लगाते हैं, बृहस्पति उस ऊर्जा को और तिव्र कर देता है, और शनि उस तीव्रता से आगे बढ़ने के लिए मानसिक शक्ति देता है। 

इस दिन आप गंगा स्नान के बाद बैंगनी आभा वाले दीप या मोमबती भी जला सकते हैं। बृहस्पति का रंग बैंगनी होता है, तो ऐसा करने से इस संयोजन का ज्यादा से ज्यादा लाभ आप पा सकेंगे ।

*दो ग्रहों के शीतकालिन सक्रांति का राशियों पर प्रभाव 

जिन लोगो की राशि कन्या,वृष या मकर है, वे दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति का लाभ लेकर काम समय में ही बड़ी सफलता पा सकते हैं। इन तीन राशियों के लोग शीतकालीन संक्रांति के अवसर पर थोड़े ही प्रयास ही इतनी सफलता सकते हैं, जिसके लिए उन्हें वर्षों  मेहनत करनी पड़ती। महान संयोजन आपको पेशेवर रुप से और ऊंचाई पर ले जायेगा जो आपको एक अधिक प्रतिष्ठित ओहदे पर पंहुचा सकता है। आपको इस संयोजन से मिलने वाले लाभों को प्राप्त करने के लिए अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आकर काम करने की आवश्यकता होगी। 

अगर आपकी राशि कुम्भ, मिथुन या तुला है तो शीतकालीन संक्रांति आपको अपने जीवन के दुखमय परिस्थितियों से उबरकर सुखी जीवन मे प्रवेश करने में मदद कर सकता है। आपका मन खुश रहेगा जिससे आप अपनी परेशानियों का समाधान भी रचनात्मक तरीके से निकालेंगे। आप अपनी पूरी ऊर्जा फलदायक कार्यो में लगाने में सफल होंगे, जिससे आप अपने सपने को साकार कर सकेंगे। 


धनु, सिंह या मेष राशि वालो के लिए दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति अद्भूत अवसर प्रदान करती है। शीतकालीन संक्रांति के अवसर पर इन तीन राशियों के लोग यदि गंगा स्नान के बाद पाँच ज्ञानी ब्राह्मणों को भोजन कराकर तथा अपनी सामर्थ्य अनुसार उचित गुरुदक्षिणा देकर प्रसन्न करते हैं, तो सालों  से  झेल रहे मुसीबतों से छुटकारा मिल जायेगा। साथ ही, अगर आप किसी बिमारी से परेशान है तो इस उपाए से चमत्कारिक फायदे देखने को मिलेंगे। शीतकालीन संक्रांति की सकारात्मक उर्जाए इन तीन राशियों के लोगों को सीधे तौर पर फायदे पहुँचाती है। आपको शीतकालीन संक्रांति के प्रभाव से साक्षात् उनसे मार्गदर्शन मिल सकता है, जिनसे आप प्रेरित हैं। 

यदि आप मीन, कर्क या वृश्चिक राशि के हैं, तो दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति के प्रभाव से पुराने से पुराने टूटे रिश्तों में थोड़े प्रयास से भी मधुरता आ जाएगी। मुख्यतः, मीन राशि के जातकों के लिए यह अवसर काफी फलदायी होती है, क्योकि बृहष्पति मीन राशि के जातकों का अधिपति होते हैं। इस घटना के प्रभाव से आपके भीतर अध्यात्मिक विकास के योग बनते हैं, तथा भक्ति की तरफ रुझान बढ़ता है। अगर आप खुद को पूजा-पाठ तथा अध्यात्म में खुद को लीन करना चाहते हैं तो यह मुहूर्त लम्बे समय तक अपने मन को धार्मिक कार्यो में लगाए रखने में मदद करेगा। जिसके फलस्वरूप आपका मन प्रसन्नचित्त बना रहता है।

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